RUSA Introduction
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उच्च शिक्षा किसी भी क्षेत्र के सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास का एक महत्वपूर्ण दर्पण है। मानवीय संसाधनों के सर्वांगीण विकास में उच्च शिक्षा की अहम भूमिका है। भारतीय उच्च शिक्षा व्यवस्था को अमेरिका व चीन के पश्चात् विश्व में तीसरी सबसे बड़ी व्यवस्था होने का गौरव प्राप्त है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् उच्च शिक्षा के विकास में अनेक कीर्तिमान स्थापित करने के बाद वर्तमान में यह एक बड़े बदलाव की ओर अग्रसर हो रही है। 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा के संवैधानिक अधिकार, युवा वर्ग की बढ़ती हुई जनसंख्या, शिक्षा के विस्तार व व्यवसायीकरण, प्रतिस्पर्धा तथा निजी क्षेत्र की बढ़ती हुई रुचि ने उच्च शिक्षा के सम्मुख अभूतपूर्व अवसर व चुनौतियाॅ उत्पन्न कर दी है।
1947 में देश के कुल 20 विश्वविद्यालयों तथा 500 महाविद्यालयों में उच्च शिक्षा में लगभग 1 लाख विद्यार्थी पंजीकृत थे जिनकी संख्या वर्तमान में क्रमशः 757, 38056 तथा 3.33 करोड़ हो गई है। उच्च शिक्षा में नामांकित कुल विद्यार्थियों में से 80 प्रतिशत स्नातक स्तर पर अध्ययनरत हैं। अखिल भारतीय स्तर पर संकायवार दृष्टि से कला में 42 प्रतिशत, विज्ञान में 19 प्रतिशत, वाणिज्य व प्रबन्ध में 18 प्रतिशत, इंजीनियरिंग व टेक्नोलाॅजी में 10 प्रतिशत तथा अन्य संकायों में 11 प्रतिशत विद्यार्थी पंजीकृत हैं। कुल पंजीकृत विद्यार्थियों में 79 प्रतिशत स्नातक स्तर, 14 प्रतिशत स्नातकोत्तर स्तर पर तथा 7 प्रतिशत डिप्लोमा स्तर पर पंजीकृत हैं। ए0आई0एस0एच0ई0 के अनुसार उच्च शिक्षा की राष्ट्रीय नामांकन दर 23.6 प्रतिशत है। उच्च शिक्षा में कुल नामांकित 3.33 करोड़ छात्र-छात्राओं में लगभग 3 करोड़ केवल राज्य विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों में पंजीकृत है।
राज्य विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में उच्च शिक्षा में गुणवत्ता (Quality),न्यायता (Equity), तथा सुलभता (Accessibility) स्थापित करने हेतु मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2013 में केन्द्रीय पुरोनिधानित योजना के अन्तर्गत राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA) प्रारम्भ किया गया है। इस अभियान के अन्तर्गत राष्ट्र के 306 राज्य विश्वविद्यालयों तथा 8500 राजकीय व अनुदानित महाविद्यालयों को आच्छादित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2016-17 में ‘रुसा’ के लिए रु0 1300 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के उद्देष्य
- उच्च शिक्षा की नामांकन दर में वृद्धि करना।
- राज्य उच्च शिक्षण संस्थानों में मानकों व नियमों के अनुरुप गुणवत्ता में सुधार करना।
- अकादमिक मूल्यांकन व प्रत्यायन को शिक्षण संस्थानों में आवश्यक रुप से अंगीकृत करना।
- राज्य स्तर पर उच्च शिक्षा के नियोजन व अनुश्रवण कार्य के लिए संस्थागत ढांचा निर्मित कर राज्य उच्च शिक्षा प्रणाली में अपेक्षित सुधार करना।
- उच्च शिक्षा में प्रशासनिक, अकादमिक, सम्बद्धता एवं परीक्षा सुधारों के लिए कार्यवाही करना।
- विद्यमान संस्थानों में अतिरिक्त क्षमता का विकास तथा सुविधाविहीन या अल्पसुविधायुक्त क्षेत्रों में नवीन संस्थानों की स्थापना कर राज्य में उच्च शिक्षा के संस्थागत आधार का विस्तार करना।
- राज्य उच्च शिक्षा परिषद् की स्थापना हेतु मार्गदर्शन करना।
- उच्च शिक्षण संस्थानों में योग्य शिक्षको की उपलब्धता सुनिश्चित कर क्षमता-विकास करना।
- शोध व नवाचार हेतु संस्थानों में उचित वातावरण का सृजन करना।
- सरकार के कौशल विकास अभियान के प्रयास को एकीकृत करना।
- उच्च शिक्षा की सुलभता के लिए क्षेत्रीय असन्तुलन को दूर करना।
- सामाजिक रुप से वंचितो समूहों, अनुसूचित जाति/जनजाति, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, द्विव्यागों को उच्च शिक्षा में समुचित अवसर प्रदान कर साम्य में सुधार करना।
- उच्च शिक्षा में संरचनात्मक कमियों को अभिज्ञापित कर उसको दूर करने में राज्य सरकार को सहयोग प्रदान करना।
- उच्च शिक्षा में गुणवत्ता, शोध व नवाचार के क्षेत्रों मंे राज्यों एवं संस्थानों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना।
- उच्च शिक्षा के विकास में शिक्षण संस्थानों एवं राज्य सरकारों की भूमिका को स्पष्टतया परिभासित करना।
‘राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान’ की प्रमुख विशेषताऐं
- रुसा’ मिशन मोड में संचालित एक ऐसी योजना है जिसमें वित्तीय सहायता निर्धारित मानकों के आधार पर स्वीकृत की जाती है।
- अनुदान प्राप्ति हेतु राज्य सरकार द्वारा अकादमिक, प्रशासनिक व शासकीय सुधारों को लागू करने की वचनबद्धता प्रदान की जानी आवश्यक है।
- ‘रुसा’ में मानव संसाधन विकास मंत्रालय से विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों को अनुदान, राज्य सरकार/राज्य उच्च शिक्षा परिषद् के माध्यम से अवमुक्त किया जाता है।
- ‘रुसा’ के अन्तर्गत प्रत्येक राज्य को उच्च शिक्षा की राज्य स्तरीय योजना के आधार पर अनुदान स्वीकृत किया जाता है।
- ‘रुसा’ में राज्य स्तरीय योजना, प्रत्येक शिक्षण संस्थान द्वारा विभिन्न घटकों हेतु प्रस्तुत संस्थागत विकास योजना (Institutional Development Plan) के आधार पर तैयार की जाती है।
- ‘रुसा’ में राज्य उच्च शिक्षा परिषद् द्वारा उच्च शिक्षा के विकास से सम्बन्धित अन्य कार्याे के साथ ही राज्य में नियोजन व अनुश्रवण का कार्य भी निश्पादित किये जाने की व्यवस्था है।
- ‘रुसा’ योजना में केन्द्रांश एवं राज्यांश का अनुपात उत्तर पूर्वी राज्यों, सिक्किम, जम्मु कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखण्ड राज्यों के लिए 90:10 है तथा अन्य राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशो के लिए यह अनुपात 60:40 का है।
- ‘रुसा’ में निजी क्षेत्र की सहभागिता प्राप्त करने के लिए राज्यों को स्वतन्त्रता प्रदान की गई हैं।
- ‘रुसा’ के अन्तर्गत राज्य, अन्य सरकारी योजनाओं के माध्यम से अतिरिक्त संसाधनों के संग्रहण के लिए भी स्वतन्त्र हैं।
- ‘रुसा’ में राज्यवार अनुमन्य अनुदान का निर्धारण सुसंगत आयु वर्ग की जनसंख्या, सकल नामांकन अनुपात, लिंग समता सूचकांक, उच्च शिक्षा पर राज्य का व्यय, संस्थान संघनता, शिक्षक-छात्र अनुपात, राज्य में उच्च शिक्षा की उपलब्धता, समता, गुणवत्ता व उत्कृष्टता की स्थिति इत्यादि घटकों के आधार पर किया जाता है।
‘रुसा’योजना के लक्षित समूह (Target Group of the Scheme)
- राजकीय विश्वविद्यालय व महाविद्यालय ।
- सहायता प्राप्त महाविद्यालय भी, कुछ घटकों हेतु निर्धारित शर्ताे के अन्तर्गत परियोजना अनुमोदन बोर्ड की संस्तुति के अनुसार ‘रुसा’ से सहायता हेतु पात्र हैं।
‘रुसा’ योजना के घटक (Components of ‘RUSA’ Scheme)
‘रुसा’ योजना के अन्तर्गत निम्नलिखित घटकों के अन्तर्गत वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रावधान है:-
- विद्यमान स्वायत्त महाविद्यालयों को उच्चीकृत कर विश्वविद्यालय के रुप मे स्थापित करना।
- निकटस्थित महाविद्यालयों के समूहों को विश्वविद्यालय के रुप में परिवर्तित करना।
- विश्वविद्यालयों को संरचनात्मक अनुदान।
- नये माॅडल महाविद्यालय स्थापित करना।
- विद्यमान महाविद्यालयों को माॅडल महाविद्यालय के रुप में उच्चीकृत करना।
- नये व्यवसायिक महाविद्यालय स्थापित करना।
- महाविद्यालयों को संरचनात्मक अनुदान।
- शोध, नवाचार व गुणवत्ता सुधार।
- समता हेतु पहल।
- फैकल्टी भर्ती हेतु सहायता।
- फैकल्टी सुधार।
- उच्च शिक्षा का व्यवसायीकरण।
- शैक्षिक प्रशासकों की नेतृत्व क्षमता का विकास।
- संस्थागत पुर्नसंरचना व सुधार।
- क्षमताविकास, समंक संग्रहण एवं नियोजन।
- प्रबन्ध सूचना प्रणाली।
- पाॅलिटेक्निक संस्थाओं को सहायता।
- प्रबन्ध, पर्यवेक्षण, मूल्यांकन और शोध।
RUSA Guidelines
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